इन्कलाब न बटन दबाने से आयेगा और न ही थाने पर हमला करने से
लुधियाना में भी बहुत उत्साह से मनाया गया लेनिन का जन्म दिन
इस बेहद गंभीर मुद्दे पर बहुत ही सहजता से लगातार बोलते हुए कामरेड अनिल ने बीच बीच में शायरी का पुट देते हुए समझाया कि सुबह होती है शाम होती है तो यह किसी दैवी शक्ति के कारन नहीं बल्कि प्रकृति और विज्ञानं के कारण. साम्यवाद के सिद्धांतों कि विस्तार से चर्चा करते हुए उन्होंने कहा हर विज्ञानं ने मार्क्सवाद को और मजबूत किया, बार बार सही साबित किया. इन्कलाब में हो रही देरी की तरफ संकेत करते हुए उन्होंने स्पष्ट किया की न तो बटन दबाने से इन्कलाब आने वाला है और न ही थाने पर हमला करने इन्कलाब आएगा. ढांडस बंधाते हुए उन्होंने कहा की सरमायेदारी से समाजवाद की तरफ जाता रास्ता लम्बा भी है और कठिन भी. उन्होंने स्पष्ट किया की हमारे लड़ने के कई तरीके हैं और जन संघर्षों का तरीका भी हमारा है. उन्होंने कहा की इन्कलाब आयेगा और इस के लिए इन्कलाब के मार्क्सवादी सिद्धांत जन जन तक पहुँचाने होंगें. उन्होंने अपने लम्बे भाषण के बावजूद श्रोतायों को बांधे रखा. इक्क्लाबी सिद्धांतों के साथ साथ उन्होंने इतिहास की चर्चा भी की. उन्होंने अख़बार निकलने के काम को भी इकलाब के लिए सहायक बताया और तकनीकी विकास के सदुपयोग की तरफ इशारा करते हुए कहा की मोबाईल और इंटरनेट का उपयोग भी इस कार्य के लिएये किया जाना चाहिए. इस सेमिनार में डाक्टर अरुण मित्र भी थे, डी पी मौड़ भी और कामरेड विजय कुमार भी और कई अन्य कामरेड भी. संगोष्ठी में महिलाएं भी बढ़ चढ़ कर शामिल थीं. -रेक्टर कथूरिया
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